Saturday, January 17, 2009

जिंदगी भरमाती है..

कई दिनों से मन करता है, डांटे कोई ज़ोर से,

कई दिनों से चाहता है मन, रोएँ जी भर लोर से।

फिर कोई पोंछ दे आँखों को, अपने आँचल की कोर से,

और डांट बन जाए खिलखिली , छूटे जो हर पोर से।

ऐसे छडों के लिए जिंदगी वर्षों तक भरमाती,

ऐसे छडों के लिए साँस भी जल्दी निकल नही पाती,

इतनी छोटी ईंछ्याँ,

पूरी कब जल्दी होती हैं?

सब्र बाँध कर देख रही हूँ ,देर भी कितनी होती है.

Tuesday, January 13, 2009

उम्मीद........

उम्मीद
-गुलज़ार-
धुप के गर्द को जब पोंछके पंखों से परिंदे
आशियानों की तरफ लोटके आते हैं ज़मीन पर
और पलकों की तरह शाम उतरती हैं फलक से
रात आती हैं बुझा देती हे सब रंगों के चेहरे
अपने दरवाजे पे एक लो का लेगा देता हूँ टीका
तुम अगर लौट के आओ
तो ये दरवाजा न भूलो

Saturday, January 10, 2009

रास्ता.......

हम एक आदर्श रास्ते की खोज मैं दिनों दिन इंतज़ार करते रहते की शायद वह अब मिलेगा मगर हम भूल जाते हैं की रास्ते चलने के लिए बनाये जाते ,इंतज़ार के लिए नही.............