Friday, March 20, 2009

This Too Shall Pass

This Too Shall Pass’ is at the heart of my understanding of things. I pair it in my mind with the words of the wise old man of Ecclesiastes, who said ,” There is nothing new under the sun “.


Someone once said that at the heart of each victory is future defeat , and at the heart of each defeat is a future victory. Everything changes. Everything moves onward, nothing is ‘stable’.


We can rely on just one unchanging thing: the inevitability of change. This perspective can help you get through the bad times. People tend to think,’ This is too shall pass’, in bad times. But it applies to good times, too,and perhaps more valuably. It helps sharpen your pleasure in the moment. God luck and good times should be seized, enjoyed, reveled in, for they won’t be here forever, and it would be ungrateful not to appreciate them while they are.


My career was kind of low and depressing for a while. Nothing that I was doing was working. I thought, ‘This is a bad time. I have to keep doing my work, keep attempting to produce something that is meaningful and that I respect. Then I became so engaged by my work and my thoughts that I sort of forgot to remember that I was in bad times. I started believing I was in a peaceful time, with fewer demands. I could find more coherence, more depth, in the other spheres of my life.


Then good times came, as good times will. Though it was not on career front it was on personal front. I thought : ‘Great, keep going, by the way, let’s go to a nice restaurant and toast my god fortune, But when you know this too shall pass, it has a way of tempering your ego. You’re not doing well because you are the best at what you do. You’re doing well because you are still trying to do good work,and a good time came and lifted it up.


So next time happiness comes your way, take a moment to send a little thank you note, pause to breathe in the joy before it disappears into infinity.


All this applies in one’s personal life of course. If we are alone. People will enter our life. If we are surrounded by friends. Someday it will be less crowded around us. If we ever have a broken heart. It will heal. Everything changes.


All we have to do is the best we can. A high wave comes,a crushing waves comes, a gentle swell follows. Whatever comes, stay in your boat. And enjoy the ride. And row.

Wednesday, March 11, 2009

Mere Chahre Ki Udasi Ko Jeevan Ki Thakan Mat Samjho....

मेरे चहेरे की उदासी को जीवन की थकन मत समझो,
में कोई पेड़ का ठूंठ नही,
जो एक जगह पैर पडी रहूँ.
में उसकी नई कोपलें होऊं,
हर्यालो फेलाने की तमना रखती हूँ.
में ओस की कोई बूँद नै,
जो धुप पाकर मुरझा जाऊँ.
में सुबह का सूरज हूँ,
प्रकाश फेलाने की तमना रखती हूँ.
क्यूंकि uddan पंखों से नही होसलों से भरी जाती है..............

Friday, February 13, 2009

Really Sweet

From one of my childhood friend..................

सूरज की अरुणिमा, ओंस की बूँदें
ढेर सारी हवाएं, कलियों की खुशबू
एक प्यारा सा , साथ बनकर तुम्हारा
तुम्हारे इस जीवन को चाँद तारों
की चमक देकर,उस क्षितिज पर
पंहुचा दें जहाँ से सिर्फ़ आसमा ही
आसमान नजर आए,पैर जमीं पर हो
पर तारों का संग नज़र आए

Thursday, February 12, 2009

Yadoon Se..

उस दिन जो बीज तुमने बोया था,
मेरे मन की क्यारी मैं.
वह आज तक महक रहा है यादों की फुलवारी में.
यह अलग बात है,
आज न में रही न हे तुम
दोनों हे भीड़ में खो गए
भले हे आज हम गेर हो गए.
लेकिन वह फूल आज भी तरोताजा है
उतना ही प्यार समेटे है अपनी पन्खुदिओं में
जितना उस दिन तुम्हारी आंखों में था.

Jeevan Ke IseMod Per

एक सुबह,
नम मिटटी पर, दो नन्हे नन्हे पाँव,
कहीं दूर से आ रहे थे,
मेरे मन की रेत पेर,
धयान से देखा.
तो वो पद चिन्ह मेरे ही थे,
देख केर हँसी मैं ,कितने प्यारे थे.
वो बचपन के पदचिन्ह.
फिर अपने पदचिन्हों को देखा मने,
कितने ज़ख्म,कितनी दरारें
कहीं कहीं उभरी हुई रक्त की लाकेर्रें थी.
क्यों हुआ ऐसा ?
नही चाहा था मैंने ऐसा!!
आज ढूंढ़ता है मन, वही पदचिन्ह
जीवन के इसे मोड़ पैर.

अच्छा लगा..

उस भरी महफिल में उसका चंद लम्हों के लिए
मुझसे मिलना, बात करना, देखना अच्छा लगा.
जिसका सच होना किसी सूरत से भी मुमकिन न था,
ऐसी ऐसी बातें अक्सर सोचना अच्छा लगा
वो तो क्या आता मगर खुशफहमियों
के साथ साथ सारी रात,
हमको जागना अच्छा लगा.

छोटी सी ख्वाहिश.....

मेरे दिल के किसी कोने में, एक मासूम बच्चा ,
बड़ों की दुनिया देखकर बड़ा होने से डरता है.!!!!


छत लिखते है दर- दरवाजे लिखते है,
हम भी किस्से कैसे कैसे लिखते है.
चोटी सी खवाहिश है कब पुरी होगी.
वैसा लिखे जसे बच्चे लिखते है.

Saturday, January 17, 2009

जिंदगी भरमाती है..

कई दिनों से मन करता है, डांटे कोई ज़ोर से,

कई दिनों से चाहता है मन, रोएँ जी भर लोर से।

फिर कोई पोंछ दे आँखों को, अपने आँचल की कोर से,

और डांट बन जाए खिलखिली , छूटे जो हर पोर से।

ऐसे छडों के लिए जिंदगी वर्षों तक भरमाती,

ऐसे छडों के लिए साँस भी जल्दी निकल नही पाती,

इतनी छोटी ईंछ्याँ,

पूरी कब जल्दी होती हैं?

सब्र बाँध कर देख रही हूँ ,देर भी कितनी होती है.

Tuesday, January 13, 2009

उम्मीद........

उम्मीद
-गुलज़ार-
धुप के गर्द को जब पोंछके पंखों से परिंदे
आशियानों की तरफ लोटके आते हैं ज़मीन पर
और पलकों की तरह शाम उतरती हैं फलक से
रात आती हैं बुझा देती हे सब रंगों के चेहरे
अपने दरवाजे पे एक लो का लेगा देता हूँ टीका
तुम अगर लौट के आओ
तो ये दरवाजा न भूलो

Saturday, January 10, 2009

रास्ता.......

हम एक आदर्श रास्ते की खोज मैं दिनों दिन इंतज़ार करते रहते की शायद वह अब मिलेगा मगर हम भूल जाते हैं की रास्ते चलने के लिए बनाये जाते ,इंतज़ार के लिए नही.............