Friday, June 06, 2008

आदर्श प्रेम," by Dr. Harivansh Rai Bachchan

One of my fav poem.........
प्यार किसी को करना लेकिन कहकर उसे बताना कया
अपने को
अपर्ण करना परऔ‌र को अपनाना क्यागुण का ग्राहक बनना लेकिन गाकर उसे सुनाना क्या
मन के कल्पित भावों से औरों को भ्रम में लाना क्या
ले लेना
सुगन्ध सुमनों कीतोड़ उन्हें मुरझाना क्या
प्रेम हार पहनाना लेकिन
प्रेम
पाश फैलाना क्यात्याग अंक में पले प्रेम शिशुउनमेंस्वार्थ बताना क्या
देकर
ह्रदय ह्रदय पाने कीआशा व्यर्थ लगाना क्या

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