Sunday, April 05, 2015

Words from my favorite writer's pen....


यहाँ सब कुछ बिकता है ,
दोस्त रहना ज़रा संभल के ....
बेचने वाले हवा भी बेच देते हैं ,
गुब्बारों में डाल के ....
सच बिकता है , झूट बिकता है ,
बिकती है हर कहानी …
तीन लोक में फैला है ,
फिर भी बिकता है बोतल में पानी ....
कभी फूलों की तरह मत जीना ,
जिस दिन खिलोगे , टूट कर बिखर जाओगे .... i
जीना है तो पत्थर की तरह जियो ....
जिस दिन तराशे गए , खुदा बन जाओगे …।
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------By Harivansh Rai Bachhan...

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