Make it a rule of life never to regret and never to look back. Regret is an
appalling waste of energy; you can't build on it; it's only good for wallowing
in.
Saturday, December 08, 2012
Friday, October 12, 2012
Jab Tak Hai Jaan
Teri aankhon ki namkeen mastiyan
Teri hansi ki beparwaah gustakhiyaan
Teri zulfon ki leharaati angdaiyaan
Nahi bhoolunga main
Jab tak hai jaan, jab tak hai jaan
Tera haath se haath chhodna
Tera saayon se rukh modna
Tera palat ke phir na dekhna
Nahin maaf karunga main
Jab tak hai jaan, jab tak hai jaan
Baarishon mein bedhadak tere naachne se
Baat baat pe bewajah tere roothne se
Chhoti chhoti teri bachkani badmashiyon se
Mohabbat karunga main
Jab tak hai jaan, jab tak hai jaan..
Tere jhoothe kasme vaadon se
Tere jalte sulagte khwabon se
Teri be-raham duaaon se
Nafrat karunga main
Jab tak hai jaan, jab tak hai jaan
Read more: http://www.lyricsmint.com/2012/09/jab-tak-hai-jaan-gulzar.html#ixzz291VrS9A5
Teri hansi ki beparwaah gustakhiyaan
Teri zulfon ki leharaati angdaiyaan
Nahi bhoolunga main
Jab tak hai jaan, jab tak hai jaan
Tera haath se haath chhodna
Tera saayon se rukh modna
Tera palat ke phir na dekhna
Nahin maaf karunga main
Jab tak hai jaan, jab tak hai jaan
Baarishon mein bedhadak tere naachne se
Baat baat pe bewajah tere roothne se
Chhoti chhoti teri bachkani badmashiyon se
Mohabbat karunga main
Jab tak hai jaan, jab tak hai jaan..
Tere jhoothe kasme vaadon se
Tere jalte sulagte khwabon se
Teri be-raham duaaon se
Nafrat karunga main
Jab tak hai jaan, jab tak hai jaan
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Insaf Ki Dagar Pe
इन्साफ़ की डगर पे
- कवि प्रदीप (Kavi Pradeep)
इन्साफ़ की डगर पे, बच्चों दिखाओ चल के
ये देश है तुम्हारा, नेता तुम्हीं हो कल के
दुनिया के रंज सहना और कुछ न मुँह से कहना
सच्चाइयों के बल पे आगे को बढ़ते रहना
रख दोगे एक दिन तुम संसार को बदल के
इन्साफ़ की डगर पे, बच्चों दिखाओ चल के
ये देश है तुम्हारा, नेता तुम्हीं हो कल के
अपने हों या पराए सबके लिये हो न्याय
देखो कदम तुम्हारा हरगिज़ न डगमगाए
रस्ते बड़े कठिन हैं चलना सम्भल-सम्भल के
इन्साफ़ की डगर पे, बच्चों दिखाओ चल के
ये देश है तुम्हारा, नेता तुम्हीं हो कल के
इन्सानियत के सर पर इज़्ज़त का ताज रखना
तन मन भी भेंट देकर भारत की लाज रखना
जीवन नया मिलेगा अंतिम चिता में जल के,
इन्साफ़ की डगर पे, बच्चों दिखाओ चल के
ये देश है तुम्हारा, नेता तुम्हीं हो कल के
- कवि प्रदीप (Kavi Pradeep)
इन्साफ़ की डगर पे, बच्चों दिखाओ चल के
ये देश है तुम्हारा, नेता तुम्हीं हो कल के
दुनिया के रंज सहना और कुछ न मुँह से कहना
सच्चाइयों के बल पे आगे को बढ़ते रहना
रख दोगे एक दिन तुम संसार को बदल के
इन्साफ़ की डगर पे, बच्चों दिखाओ चल के
ये देश है तुम्हारा, नेता तुम्हीं हो कल के
अपने हों या पराए सबके लिये हो न्याय
देखो कदम तुम्हारा हरगिज़ न डगमगाए
रस्ते बड़े कठिन हैं चलना सम्भल-सम्भल के
इन्साफ़ की डगर पे, बच्चों दिखाओ चल के
ये देश है तुम्हारा, नेता तुम्हीं हो कल के
इन्सानियत के सर पर इज़्ज़त का ताज रखना
तन मन भी भेंट देकर भारत की लाज रखना
जीवन नया मिलेगा अंतिम चिता में जल के,
इन्साफ़ की डगर पे, बच्चों दिखाओ चल के
ये देश है तुम्हारा, नेता तुम्हीं हो कल के
Krishna Ki Chetavani
कृष्ण की चेतावनी (रश्मिरथी)
- रामधारी सिंह दिनकर (Ramdhari Singh Dinkar)
वर्षों तक वन में घूम-घूम, बाधा-विघ्नों को चूम-चूम,
सह धूप-घाम, पानी-पत्थर, पांडव आये कुछ और निखर।
सौभाग्य न सब दिन सोता है,
देखें, आगे क्या होता है।
मैत्री की राह बताने को, सबको सुमार्ग पर लाने को,
दुर्योधन को समझाने को, भीषण विध्वंस बचाने को,
भगवान् हस्तिनापुर आये,
पांडव का संदेशा लाये।
'दो न्याय अगर तो आधा दो, पर, इसमें भी यदि बाधा हो,
तो दे दो केवल पाँच ग्राम, रखो अपनी धरती तमाम।
हम वहीं खुशी से खायेंगे,
परिजन पर असि न उठायेंगे!
दुर्योधन वह भी दे ना सका, आशीष समाज की ले न सका,
उलटे हरि को बाँधने चला, जो था असाध्य साधने चला।
जब नाश मनुज पर छाता है,
पहले विवेक मर जाता है।
हरि ने भीषण हुंकार किया, अपना स्वरूप-विस्तार किया,
डगमग-डगमग दिग्गज डोले, भगवान् कुपित होकर बोले-
'जंजीर बढ़ा कर साध मुझे,
हाँ, हाँ दुर्योधन! बाँध मुझे।
यह देख, गगन मुझमें लय है, यह देख, पवन मुझमें लय है,
मुझमें विलीन झंकार सकल, मुझमें लय है संसार सकल।
अमरत्व फूलता है मुझमें,
संहार झूलता है मुझमें।
बाँधने मुझे तो आया है, जंजीर बड़ी क्या लाया है?
यदि मुझे बाँधना चाहे मन, पहले तो बाँध अनन्त गगन।
सूने को साध न सकता है,
वह मुझे बाँध कब सकता है?
हित-वचन नहीं तूने माना, मैत्री का मूल्य न पहचाना,
तो ले, मैं भी अब जाता हूँ, अन्तिम संकल्प सुनाता हूँ।
याचना नहीं, अब रण होगा,
जीवन-जय या कि मरण होगा।
टकरायेंगे नक्षत्र-निकर, बरसेगी भू पर वह्नि प्रखर,
फण शेषनाग का डोलेगा, विकराल काल मुँह खोलेगा।
दुर्योधन! रण ऐसा होगा।
फिर कभी नहीं जैसा होगा।
भाई पर भाई टूटेंगे, विष-बाण बूँद-से छूटेंगे,
वायस-श्रृगाल सुख लूटेंगे, सौभाग्य मनुज के फूटेंगे।
आखिर तू भूशायी होगा,
हिंसा का पर, दायी होगा।'
थी सभा सन्न, सब लोग डरे, चुप थे या थे बेहोश पड़े।
केवल दो नर ना अघाते थे, धृतराष्ट्र-विदुर सुख पाते थे।
कर जोड़ खड़े प्रमुदित, निर्भय,
दोनों पुकारते थे 'जय-जय'!
- रामधारी सिंह दिनकर (Ramdhari Singh Dinkar)
वर्षों तक वन में घूम-घूम, बाधा-विघ्नों को चूम-चूम,
सह धूप-घाम, पानी-पत्थर, पांडव आये कुछ और निखर।
सौभाग्य न सब दिन सोता है,
देखें, आगे क्या होता है।
मैत्री की राह बताने को, सबको सुमार्ग पर लाने को,
दुर्योधन को समझाने को, भीषण विध्वंस बचाने को,
भगवान् हस्तिनापुर आये,
पांडव का संदेशा लाये।
'दो न्याय अगर तो आधा दो, पर, इसमें भी यदि बाधा हो,
तो दे दो केवल पाँच ग्राम, रखो अपनी धरती तमाम।
हम वहीं खुशी से खायेंगे,
परिजन पर असि न उठायेंगे!
दुर्योधन वह भी दे ना सका, आशीष समाज की ले न सका,
उलटे हरि को बाँधने चला, जो था असाध्य साधने चला।
जब नाश मनुज पर छाता है,
पहले विवेक मर जाता है।
हरि ने भीषण हुंकार किया, अपना स्वरूप-विस्तार किया,
डगमग-डगमग दिग्गज डोले, भगवान् कुपित होकर बोले-
'जंजीर बढ़ा कर साध मुझे,
हाँ, हाँ दुर्योधन! बाँध मुझे।
यह देख, गगन मुझमें लय है, यह देख, पवन मुझमें लय है,
मुझमें विलीन झंकार सकल, मुझमें लय है संसार सकल।
अमरत्व फूलता है मुझमें,
संहार झूलता है मुझमें।
बाँधने मुझे तो आया है, जंजीर बड़ी क्या लाया है?
यदि मुझे बाँधना चाहे मन, पहले तो बाँध अनन्त गगन।
सूने को साध न सकता है,
वह मुझे बाँध कब सकता है?
हित-वचन नहीं तूने माना, मैत्री का मूल्य न पहचाना,
तो ले, मैं भी अब जाता हूँ, अन्तिम संकल्प सुनाता हूँ।
याचना नहीं, अब रण होगा,
जीवन-जय या कि मरण होगा।
टकरायेंगे नक्षत्र-निकर, बरसेगी भू पर वह्नि प्रखर,
फण शेषनाग का डोलेगा, विकराल काल मुँह खोलेगा।
दुर्योधन! रण ऐसा होगा।
फिर कभी नहीं जैसा होगा।
भाई पर भाई टूटेंगे, विष-बाण बूँद-से छूटेंगे,
वायस-श्रृगाल सुख लूटेंगे, सौभाग्य मनुज के फूटेंगे।
आखिर तू भूशायी होगा,
हिंसा का पर, दायी होगा।'
थी सभा सन्न, सब लोग डरे, चुप थे या थे बेहोश पड़े।
केवल दो नर ना अघाते थे, धृतराष्ट्र-विदुर सुख पाते थे।
कर जोड़ खड़े प्रमुदित, निर्भय,
दोनों पुकारते थे 'जय-जय'!
Scholly Poems------KHooni Hastakshar
खूनी हस्ताक्षर
- गोपालप्रसाद व्यास (Gopalprasad Vyas)
वह खून कहो किस मतलब का
जिसमें उबाल का नाम नहीं।
वह खून कहो किस मतलब का
आ सके देश के काम नहीं ।
वह खून कहो किस मतलब का
जिसमें जीवन, न रवानी है ।
जो परवश होकर बहता है,
वह खून नहीं, पानी है ।
उस दिन लोगों ने सही-सही
खून की कीमत पहचानी थी ।
जिस दिन सुभाष ने बर्मा में
मॉंगी उनसे कुरबानी थी ।
बोले, "स्वतंत्रता की खातिर
बलिदान तुम्हें करना होगा ।
तुम बहुत जी चुके जग में,
लेकिन आगे मरना होगा ।
- गोपालप्रसाद व्यास (Gopalprasad Vyas)
वह खून कहो किस मतलब का
जिसमें उबाल का नाम नहीं।
वह खून कहो किस मतलब का
आ सके देश के काम नहीं ।
वह खून कहो किस मतलब का
जिसमें जीवन, न रवानी है ।
जो परवश होकर बहता है,
वह खून नहीं, पानी है ।
उस दिन लोगों ने सही-सही
खून की कीमत पहचानी थी ।
जिस दिन सुभाष ने बर्मा में
मॉंगी उनसे कुरबानी थी ।
बोले, "स्वतंत्रता की खातिर
बलिदान तुम्हें करना होगा ।
तुम बहुत जी चुके जग में,
लेकिन आगे मरना होगा ।
Mera Kuch Saman
जब भी यह दिल उदास होता है
जाने कौन आस-पास होता है
होंठ चुपचाप बोलते हों जब
सांस कुछ तेज़-तेज़ चलती हो
आंखें जब दे रही हों आवाज़ें
ठंडी आहों में सांस जलती हो
आँख में तैरती हैं तसवीरें
तेरा चेहरा तेरा ख़याल लिए
आईना देखता है जब मुझको
एक मासूम सा सवाल लिए
कोई वादा नहीं किया लेकिन
क्यों तेरा इंतजार रहता है
बेवजह जब क़रार मिल जाए
दिल बड़ा बेकरार रहता है
जब भी यह दिल उदास होता है
जाने कौन आस-पास होता है
जाने कौन आस-पास होता है
होंठ चुपचाप बोलते हों जब
सांस कुछ तेज़-तेज़ चलती हो
आंखें जब दे रही हों आवाज़ें
ठंडी आहों में सांस जलती हो
आँख में तैरती हैं तसवीरें
तेरा चेहरा तेरा ख़याल लिए
आईना देखता है जब मुझको
एक मासूम सा सवाल लिए
कोई वादा नहीं किया लेकिन
क्यों तेरा इंतजार रहता है
बेवजह जब क़रार मिल जाए
दिल बड़ा बेकरार रहता है
जब भी यह दिल उदास होता है
जाने कौन आस-पास होता है
Gulzar's Great Work
saans lenaa bhii kaisii aadat hai
jiiye jaanaa bhii kyaa ravaayat hai
koii aahat nahiin badan mein kahiin
koii saayaa nahiin hai aankhon mein
paanv behis hain, chalate jaate hain
ik safar hai jo bahataa rahataa hai
kitane barason se, kitanii sadiyon se
jiye jaate hain, jiye jaate hain
aadaten bhii ajiib hotii hain
jiiye jaanaa bhii kyaa ravaayat hai
koii aahat nahiin badan mein kahiin
koii saayaa nahiin hai aankhon mein
paanv behis hain, chalate jaate hain
ik safar hai jo bahataa rahataa hai
kitane barason se, kitanii sadiyon se
jiye jaate hain, jiye jaate hain
aadaten bhii ajiib hotii hain
Thursday, June 14, 2012
Just Like That...
When I came home in the rain,
My Brother Asked: Why U Didn’t take an Umbrella.
SisterAdvised) why didn’t U wait till rain stopped.
Father(Angrily): Warned! only after getting cold, U will realize.
.
.
.
Mother: while drying my Hair, said,
“STUPID RAIN! couldn’t it wait, till my child came home.”
That's (Mother)
My Brother Asked: Why U Didn’t take an Umbrella.
SisterAdvised) why didn’t U wait till rain stopped.
Father(Angrily): Warned! only after getting cold, U will realize.
.
.
.
Mother: while drying my Hair, said,
“STUPID RAIN! couldn’t it wait, till my child came home.”
That's (Mother)
Wednesday, June 13, 2012
Abhi mujh mein kahin
A beautiful soulful track sung by the legendary Sonu Nigam. Amazing voice, great lyrics and music that touches your soul. Hats off to Sonu Nigam
Abhi mujh mein kahin
Baaki thodi si hai zindagi
Jagi dhadkan nayi
Jaana zinda hoon main toh abhi
Kuch aisi lagan iss lamhe mein hai
Yeh lamha kahaan tha mera
Ab hai saamne
Ishe chhuu loon zara
Marr jaaun ya jee loon zaraaa
Khushiyaan choom loon
Yaa ro loon zara (indicine.com)
Marr jaaun ya jee loon zaraa
Hoo abhi mujh mein kahin
Baaki thodi si hai zindagi
Hoo… dhoop mein jalte hue tann koo
Chhaya pedh ki mil gayi
Roothe bacche ki hansi jaise
Phuslane se phir khil gayi
Kuch aisa hi mehsoos dil ko ho raha hai
Barson ke puraane zakhmon pe marham laga sa hai
Kuch ehsaan hai,
Iss lamhe mein hai
Ye lamha kahaan tha meraa
Ab hai saamne.. isse chhoo loon zara
Marr jaaun ya jee loo zara
Khushiyaan choom loon
Ya ro loon zara
Marr jaaun ya jee loon zara
Dor se tooti patang jaisi
Thi yeh zindagaani meri
Aaj hoon kal ho mera naho
Har din thi kahaani meri
Ek bandhan naya peeche seh ab mujhko bulaye
Aane wale kal ki kyun fhikar mujhko kyun sataa jaaye
Ik aisi chubhan, iss lamhe mein hai
Yeh lamha kahaan tha mera
Ab hai saamne.. isse chhoo loon zara
Marr jaaun ya jee loon zara
Khushiyaan choom loon
Ya roh loon zara
Mar jaaun ya jee loon zara
Abhi mujh mein kahin
Baaki thodi si hai zindagi
Jagi dhadkan nayi
Jaana zinda hoon main toh abhi
Kuch aisi lagan iss lamhe mein hai
Yeh lamha kahaan tha mera
Ab hai saamne
Ishe chhuu loon zara
Marr jaaun ya jee loon zaraaa
Khushiyaan choom loon
Yaa ro loon zara (indicine.com)
Marr jaaun ya jee loon zaraa
Hoo abhi mujh mein kahin
Baaki thodi si hai zindagi
Hoo… dhoop mein jalte hue tann koo
Chhaya pedh ki mil gayi
Roothe bacche ki hansi jaise
Phuslane se phir khil gayi
Kuch aisa hi mehsoos dil ko ho raha hai
Barson ke puraane zakhmon pe marham laga sa hai
Kuch ehsaan hai,
Iss lamhe mein hai
Ye lamha kahaan tha meraa
Ab hai saamne.. isse chhoo loon zara
Marr jaaun ya jee loo zara
Khushiyaan choom loon
Ya ro loon zara
Marr jaaun ya jee loon zara
Dor se tooti patang jaisi
Thi yeh zindagaani meri
Aaj hoon kal ho mera naho
Har din thi kahaani meri
Ek bandhan naya peeche seh ab mujhko bulaye
Aane wale kal ki kyun fhikar mujhko kyun sataa jaaye
Ik aisi chubhan, iss lamhe mein hai
Yeh lamha kahaan tha mera
Ab hai saamne.. isse chhoo loon zara
Marr jaaun ya jee loon zara
Khushiyaan choom loon
Ya roh loon zara
Mar jaaun ya jee loon zara
Wednesday, June 06, 2012
Happy Mothers Day
Belated Happy Mothers Day...
ईश्वर हर जगह हो नहीं सकता था, इसलिए मां भिजवाई,
न मैं गुणी हूं न मैं ज्ञानी, और न इतना जग जाना।
पर इक नन्हे फूल ने खिलकर गोद में मेरी, भेद मुझे ये समझाया,
कि लाख जतन चाहे कर ले वो ईश्वर हो ही नहीं सकता मां जैसा।
एक ठिठुरती सर्द रात में, क्या देखा है कभी किसी ने,
उस ईश्वर को गीले बिस्तर पर सोते।
ये केवल मां हो सकती है..
वो तो पूरी कायनात का जादू लेकर बैठा है,
कोई करिश्मा कर भी दे, तो बात बड़ी इसमें क्या है।
पर मैंने महसूस किया है, मां के छू लेने भर ही से,
न मैं गुणी हूं न मैं ज्ञानी, और न इतना जग जाना।
पर इक नन्हे फूल ने खिलकर गोद में मेरी, भेद मुझे ये समझाया,
कि लाख जतन चाहे कर ले वो ईश्वर हो ही नहीं सकता मां जैसा।
एक ठिठुरती सर्द रात में, क्या देखा है कभी किसी ने,
उस ईश्वर को गीले बिस्तर पर सोते।
ये केवल मां हो सकती है..
वो तो पूरी कायनात का जादू लेकर बैठा है,
कोई करिश्मा कर भी दे, तो बात बड़ी इसमें क्या है।
पर मैंने महसूस किया है, मां के छू लेने भर ही से,
कैसा जादू होता है, गहरे से गहरा दुख हो चाहे छूमंतर हो जाता है।
हम बंदों को पता है क्या कि ईश्वर दुख भी देता है?
कर्मो का करके हिसाब वो फिर पीछे ही कुछ देता है।
कहां वो इतने दरियादिल कि, झूठ-मूठ के आंसू से पिघलकर,
जान-भूझकर भी सारा छल, फिर भी ठगाए बच्चों से।
ये केवल मां हो सकती है बस, केवल मां हो सकती है..
कहकर मां को रब जैसा, क्यूं उसके भोलेपन पर प्रश्न करूं?
क्या देखा है कहीं किसी ने उसमें मां-सा भोलापन?
ये तो बस मां हो सकती है,
बस केवल मां हो सकती है..
मां की व्याख्या, केवल मां है, मां का वर्णन केवल मां।
केवल मां ही मां जैसी है। रब नहीं है उस जैसा।
हम बंदों को पता है क्या कि ईश्वर दुख भी देता है?
कर्मो का करके हिसाब वो फिर पीछे ही कुछ देता है।
कहां वो इतने दरियादिल कि, झूठ-मूठ के आंसू से पिघलकर,
जान-भूझकर भी सारा छल, फिर भी ठगाए बच्चों से।
ये केवल मां हो सकती है बस, केवल मां हो सकती है..
कहकर मां को रब जैसा, क्यूं उसके भोलेपन पर प्रश्न करूं?
क्या देखा है कहीं किसी ने उसमें मां-सा भोलापन?
ये तो बस मां हो सकती है,
बस केवल मां हो सकती है..
मां की व्याख्या, केवल मां है, मां का वर्णन केवल मां।
केवल मां ही मां जैसी है। रब नहीं है उस जैसा।
PS: Courtesy Dainik Bhaskar--Madhurima!
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Parents
Rain Rain Come Soon.....
Just waiting for The first smell of the wet earth, is the smell of memories, of love and of young dreams; those that came true, and more precious, those that were scattered to the wind.
Saturday, April 28, 2012
Monday, March 19, 2012
Life is like that......
ज़िन्दगी की उलझने शरारतों को कम कर देती हैं और लोग कहते हें कि हम बदल गये ......
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