Wednesday, March 11, 2009

Mere Chahre Ki Udasi Ko Jeevan Ki Thakan Mat Samjho....

मेरे चहेरे की उदासी को जीवन की थकन मत समझो,
में कोई पेड़ का ठूंठ नही,
जो एक जगह पैर पडी रहूँ.
में उसकी नई कोपलें होऊं,
हर्यालो फेलाने की तमना रखती हूँ.
में ओस की कोई बूँद नै,
जो धुप पाकर मुरझा जाऊँ.
में सुबह का सूरज हूँ,
प्रकाश फेलाने की तमना रखती हूँ.
क्यूंकि uddan पंखों से नही होसलों से भरी जाती है..............

1 comment:

Nimish Neha said...

shat pratishat sahi...