हमारा व्यवहार गणित के
'शून्य' की तरह होना चाहिये
जो स्वयं कोई कीमत नहीं रखता
लेकिन दूसरों के साथ जुड़नें पर,
उसकी 'कीमत' बढ़ा देता है!:)
सच्चाई वो दीया है जिसे अगर पहाड़ की चोटी पर भी रख दो, तो बेशक रोशनी कम करे, पर दिखाई बहुत दूर से भी देता है।:)
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