Thursday, February 12, 2009

अच्छा लगा..

उस भरी महफिल में उसका चंद लम्हों के लिए
मुझसे मिलना, बात करना, देखना अच्छा लगा.
जिसका सच होना किसी सूरत से भी मुमकिन न था,
ऐसी ऐसी बातें अक्सर सोचना अच्छा लगा
वो तो क्या आता मगर खुशफहमियों
के साथ साथ सारी रात,
हमको जागना अच्छा लगा.

No comments: