Sunday, April 05, 2015

~ हरिवंश राय बच्चन


दुनिया के अंदर दुनिया है , दुनिया अंदर दुनिया ,
और फिर दुनिया के अंदर दुनिया , फिर दुनिया में दुनिया।

तू कितनी दुनियां के अंदर , भान तुझे इंसाना ?

~ हरिवंश राय बच्चन

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